भिलाई । अणुव्रत समिति, भिलाई एवं दुर्ग जिला शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तथा पोरवाल चेरीटेबल ट्रस्ट, भिलाई द्वारा प्रायोजित दस दिवसीय जीवन विज्ञान विद्यार्थी-शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का समापन दुर्ग के जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल के सान्निध्य में आयोजित वर्धापन समारोह में उत्साहपूर्ण वातावरण में हुआ। इस अवसर पर भिलाई क्षेत्र के तेरह निजी एवं शासकीय विद्यालयों के शताधिक शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं समारोह में उपस्थित अन्य गणमान्य महानुभावों को सम्बोधित करते हुए अभय जायसवाल ने कहा कि वर्तमान समय में समाज में नैतिक मूल्यों की पुन: प्रतिष्ठा हेतु इस प्रकार के शिविरों की निरन्तरता की अपेक्षा है। जीवन विज्ञान प्रशिक्षण शिविर में सिखाए जाने वाले आसन, प्राणायाम, कायोत्सर्ग, दीर्घश्वास पे्रक्षा, अनुपे्रक्षा, प्रार्थना सभा एवं कक्षा कक्ष में करवाये जाने वाले विभिन्न लघु प्रायोगिक अभ्यासों से विद्यार्थी के व्यक्तित्व का सर्वांगीण होता है। विद्यालय स्तर पर इन प्रयोगों की निरन्तरता से स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है। उन्होंने यहां सीखे गये प्रयोंगो को स्वयं के जीवन में अपनाने की पे्ररणा देते हुए विद्यार्थी एवं शिक्षकों को इसे अधिक से अधिक विद्यालयों तक पहुंचाने का आह्वान किया और इस हेतु स्वयं की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा रायपुर के अध्यक्ष गौतमचन्द गोलछा, भिलाई सभा के अध्यक्ष किशोरीलाल कोठारी, अणुव्रत समिति के उपाध्यक्ष सुरेशचन्द बरडिय़ा, डॉ. एम.एल. जैन, विजय बोहरा, पोरवाल ट्रस्ट की न्यासी शोभा पोरवाल, संगीता बोहरा, शैल तिवारी, सुखविन्दर कौर सहित समाज के अनेक गणमान्य महानुभावों की उपस्थित रही। शिविर के आठवें दिन दिनांक 18 जून को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गौतम चैरडिय़ा का विशेष उद्बोधन प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि जीवन विज्ञान मूल्यपरक शिक्षा का प्रभावी प्रयोग है। मूल्यों की शिक्षा अथवा नैतिक शिक्षा का समावेश शिक्षा-नीति के अन्तर्गत पाठ्यक्रम अथवा पाठ्यपुस्तकों में होता तो है, परन्तु सैद्धान्तिक चर्चा अथवा पाठ्य-पुस्तकों के अध्ययन-अध्यापन मात्र से इसे विद्यार्थियों के चरित्र का अंग बनाना कठिन है।
आचार्य महाप्रज्ञ प्रणीत शिक्षा के नए आयाम जीवन विज्ञान के अन्तर्गत करवाये जाने वाले पे्रक्षाध्यान, अनुपे्रक्षा आदि ध्यान-योग के प्रयोगों द्वारा इन मूल्यों को सब-कॉन्सियश माइण्ड तक पहुंचाकर चरित्र में स्थायी रूप से रोपित किया जा सकता है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों द्वारा प्रस्तुत प्रायोगिक प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए पोरवाल पे्रक्षा भवन के आध्यात्मिक वातावरण एवं प्रशिक्षकद्वय हनुमान मल शर्मा, सहायक निदेशक, जीवन विज्ञान विभाग, अणुविभा, लाडनूं/राजसमन्द, राजस्थान तथा योगा-लाइफ मैनेजमेन्ट, उज्जैन, म.प्र. के निदेशक मुकेश मेहता के प्रशिक्षण कौशल की सराहना की। इसी प्रकार 19 जून को शिविर स्थल पर उपस्थित होकर छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक सुनील जैन ने भी विद्यार्थी एवं शिक्षकों को पे्ररित किया। अपने पे्ररणात्मक उद्बोधन में उन्होंने कहा कि बच्चों को मात्र पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित रखना उनकी रचनात्मक एवं क्रियात्मक क्षमता को अवरुद्ध करना है। शिक्षा जगत् में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
उन्हें विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास का प्रशिक्षण प्राप्त होता है। अत: बच्चों में सकारात्मक विचार उत्पन्न करने, उनकी रचनात्मक एवं क्रियात्मक शक्ति को विकसित करने एवं उनमें सद्गुणों को पे्रषित करने हेतु शिक्षकवर्ग को सतत जागरुकता के साथ निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिए। इस अवसर पर शिक्षा संभाग दुर्ग के सहायक संचालक पी.के. पाण्डेय तथा सहायक संचालक सत्यनारायण स्वामी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन मुख्य प्रशिक्षक हनुमान मल शर्मा ने किया। इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे। शिविरार्थियों को समय-समय पर पोरवाल चेरीटेबल ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी दानमल पोरवाल द्वारा भी पे्ररणा प्राप्त हुई। उन्होंने अपने जीवन-संस्मरणों को साझा करते हुए शिक्षकों को सबोधित किया साथ ही जीवन विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षक तथा विद्यार्थियों के लिए अनेकों प्रोत्साहन-पुरस्कारों की घोषणा की। उन्होंने प्रत्येक स्कूल की प्रार्थना सभा के लिए पांच तथा प्रत्येक कक्षा हेतु एक विद्यार्थी को जीवन विज्ञान मॉनीटर के रूप में नियुक्त करने का सुझााव भी दिया।
प्रतिदिन प्रात: 07 बजे से सांय 05 बजे तक चले प्रशिक्षणक्रम के अन्तर्गत सूक्ष्म यौगिक क्रियाएं, विविध आसन, प्राणायाम, पे्रक्षाध्यान, अनुपे्रक्षा, कायोत्सर्ग, प्रार्थना सभा तथा कक्षा में जीवन विज्ञान की गतिविधियों का सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण के साथ विद्यालयी पाठ्यक्रम में जीवन विज्ञान विषय-अध्यापन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। ध्यातव्य है कि इस वर्ष से सरस्वती शिशु मंदिर, कैलाश नगर, हाउसिंग बोर्ड एवं कुरुद आदि क्षेत्रों के विद्यालयों द्वारा पाठ्यक्रम में जीवन विज्ञान विषय को संचालित करने का निर्णय लिया गया है और इस हेतु अणुविभा द्वारा जीवन विज्ञान पाठ्यपुस्तकों को विशेष छूट पर उपलब्ध करवाया गया है। शिविर प्रशिक्षण कार्य में सरस्वती शिशु मंदिर, कैलाशनगर के शिक्षक पूनम तिवारी, पूनम चैबे तथा कृतकुमार साहू का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। शिविर में भोजन एवं प्रशिक्षण स्थल की व्यवस्थाओं में शीतल पोरवाल, पे्रक्षा, मेघा, प्रत्यूष, त्रिशला पोरवाल, मनमेन्द्र मुखर्जी, अवधेश वर्मा, सहदेव साहु आदि का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।